झारखंड में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास राज्य भाजपा और सरकार के कार्यकलापों पर खुलकर बोल रहे हैं। वह जहां कहीं बोलते हैं, भाजपा कार्यकर्त्ताओं की ढेर सारी तालियां बटोरते हैं। कारण? रघुवर दास कहते हैं कि वह जो कुछ कह रहे हैं, वह भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्त्ताओं की आवाज है।
श्री दास कहते हैं, “आज झारखंड में भाजपा संगठन राज्य सरकार की पिछलग्गू बन गया है। वह सरकार व जनता के बीच सेतु का काम नहीं कर रहा है।
सरकार का नेतृत्व भाजपा कर रही है, इसलिए जनता भाजपा की ओर आस भरी निगाह से देख रही है। पार्टी के नेता संगठन हित के बजाय व्यक्तिगत हित के लिए काम कर रहे हैं। पैसों के बल पर पार्टी में लोग पदाधिकारी बन रहे हैं। इससे पार्टी का भला नहीं होगा। भाजपा में विकृति आई है। हमें इस विकृति को सुधारना होगा और पैसे के बल पर पदाधिकारी बने लोगों का तिरस्कार करना होगा।
संगठन में बड़े नेताओं की गणेश परिक्रमा करने वालों को पद मिल रहा है। लेकिन ऐसे लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि पद तो गणेश परिक्रमा से मिल जाएगा, कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं मिलेगा।
राज्य सरकार सिर्फ घोषणा कर रही है। इससे काम नहीं चलेगा। धरातल पर काम भी करना होगा। सिर्फ मुद्दे उछाल कर अब चुनाव नहीं जीत सकते। यह गलती उपचुनाव में हुई, हम हार गए।“
प्रदेश में भाजपा की कमान संभाले नेता श्री दास के बयानों पर बोले भी तो क्या? वह तो केवल इतना ही बोल पाते हैं, “पार्टी के भीतर के असंतोष को संगठन के बीच बंद कमरे में बोला जाना चाहिए, न कि सार्वजनिक मंच पर।“